मैं योग सन्यास चालीस वर्षों से चला रहा हूँ यह मरें गुरू देव की अत्यन्त कृपा है और शिव गोरख माया की महरबानी है। मैं ना कोई ज्यादा पढ़ा लिखा हूँ तथा ना कोई वेद शास्त्र का ज्ञाता हूँ, मुझे गुरू दिव्य दृष्टि देकर गुरू महिमा लिखने को कहा तो समय सार के अनुसार गुरू ज्ञानगेस सासेनी प्रगट होती है, मैं एकान्त में जंगली झोंपड़ी में ही रहने से राजी रहता हूँ, क्योंकि यहां जपतप योग साधना हो सकती है तथा लेखनी लिखने का भी समय मिल सकता है, सिर्फ बड़े आश्रम पर तो तीन घण्टा रहता हूँ, शेष इकीसूं घण्टे झोपड़ी में ही रहते हैं। कहीं बाहर घुमने की मुझे शौक नहीं है, मेरे सच्चे सेवग गोरूसिंह बीका, सरदार हर समय हाजिर रहते हैं। आश्रम पर शिष्य वर्षानाथ शान्तिनाथ, वारूनाथ ये चैकस सार संभाल रखते हैं। जय गुरूदेव! ा