|| ज़य श्री सातड़ा धाम || || ज़य श्री सातड़ा धाम || || ज़य श्री सातड़ा धाम || || ज़य श्री सातड़ा धाम || || ज़य श्री सातड़ा धाम || || ज़य श्री सातड़ा धाम ||
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|| सातड़ा धाम की महिमा ||

‘‘कवि के अखर सबही स्वखर कहबा में ही बैण,
वोही काजळ ठीकरी और वोही काजळ नैण।।’’

यह ग्राम सातड़ा एक सन्त भोमी है, यहाँ बहुत से संतों का जन्म निवास है यह बात मैं आपको पहले पृष्ठों में बता चुका हूँ, जो बड़े-बड़े शहरों में भी इतने संत प्रचारित नहीं हुवें हैं। धन्य हो इसी धरती माता को जो दूर-दूर से लोग दर्शन करने को आते हैं और श्री मकड़ीनाथजी के चमत्कारों की आज भी अजमाइस करते हैं उनका कार्य सफल सिद्ध होता है ओर यहाँ कई पाखण्डी ढोंग रचने वाले आते हैं, उनकी पोल खुल जाती है तथा वो अफसोस एवं अचुम्बें में पड़ जाता है। यह मेरे गुरूदेवन के घुणे का प्रभाव है क्योंकि मैंन मेरे गुरूदेवन की बारह वर्ष तक सेवा की है, फिर मेरे गुरूजी विक्रम संवत 2032 में शिवशरण हो गये तो मैंने मन्नाति संत संप्रदाय के संयोगी मान कर मुझे भगवां बाना और कानों में कुण्डल धारण किया है।

|| सातड़ा धाम की महिमा ||

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